
मनुष्य के जीवन को सुगम बनाने के लिए आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिग्रंथ में सैकड़ों नीतियों का वर्णन किया है. ‘चाणक्य नीति’ में आचार्य ने चार ऐसी चीजों के बारे में वर्णन किया है जिसमें संकोच करने से मनुष्य विफल हो जाता है. वो कहते हैं कि व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में संकोच नहीं करना चाहिए.
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत।।
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि व्यक्ति को पैसे से जुड़े मामले में कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए.

अगर आपका पैसा किसी के पास है तो उससे बेझिझक मांगना चाहिए. संकोच करने पर आपको हानि हो सकती है.
चाणक्य के मुताबिक ज्ञान के मामले में भी व्यक्ति को शर्म नहीं करना चाहिए.

आचार्य के मुताबिक अगर व्यक्ति को कोई बात समझ में न आए तो उसे तुरंत पूछ लेना चाहिए, नहीं तो भ्रम की स्थिति बनती है और आगे का रास्ता कठिन हो जाता है. साथ ही परीक्षा में सफल होने के लिए भी शर्म को किनारे कर देना चाहिए.
भोजन से जुड़े मामलों में भी व्यक्ति को शर्म करने से बचना चाहिए.

भूखा रहने से व्यक्ति की सेहत खराब हो सकती है. इसलिए जब भूख लगे तो शर्माना छोड़कर खाना मांग लेना चाहिए. कई लोग जान-पहचान की जगह पर शर्म से भूखे रह जाते हैं.
काम और कारोबार के मामले में भी संकोच नहीं करना चाहिए.

शर्म के कारण चीजें रह जाती हैं और व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाता है. अगर आप किसी भी काम में 100 फीसदी सफल होना चाहते हैं तो शर्म को त्यागकर भ्रम को दूर करना चाहिए.

- United Nations at 75 plagued by new crises and cash crunch
- Coronavirus: Clashes in Naples (Italy) over tightening restrictions
- US election 2020: How Trump has changed the world
- Sudan normalizes relations with Israel – the latest in a series of Arab League countries to do so
- Poland abortion ruling: Protests spread across the country
Leave a Reply