
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रेस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (GRAP) लागू होने जा रहा है। इस बार सरकार ने पराली जलाने की घटना पर रोक के लिए किसानों को अच्छी-खासी मदद की पेशकश की है, लेकिन कोविड-19 महामारी में खस्ताहाल किसान मामूली खर्च भी उठाने की हालत में नहीं हैं। ऐसे में इस सीजन में पिछले दो सालों के मुकाबले ज्यादा तेजी से पराली जलाने की घटना सामने आई है।
फ़िलहाल हवा की गति मद्धम रहने के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में जम जा रहे हैं। ऐसे मेंं उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में जब हवा की गति तेज होगी तो प्रदूषण से कुछ हद तक राहत मिल सकेगी। बहरहाल, सबसे बड़ी बात है कि गाजियाबाद में पहली बार हवा बेहद खराब स्तर को छू गई है जबकि गुरुग्राम में पहली बार हवा खराब स्तर पर पहुंच गई।

ऐसे में माना जा रहा है कि घुटन वाले दिन कभी भी शुरू हो सकते हैं। तब अस्थमा और सांस की बीमारियों के मरीजों को अब काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। बड़ी चिंता इस बात की है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो कहीं कोविड-19 की दूसरी लहर ने शुरू हो जाए।
प्रदूषण का हाल बताने वाली वेबसाइट सफर ने पराली से जुड़े आकलन की जानकारी देना शुरू कर दिया है। सफर के मुताबिक, पिछले दो सालों से 15 अक्टूबर के बाद ही पराली जलाने की घटनाएं 500 के पार करती थीं, लेकिन इस साल अभी तक दो से तीन दिन में ही करीब 500 जगहों पर पराली जलाने की घटना सामने आ चुकी है।

इस साल पराली का पीक सीजन नवंबर के पहले हफ्ते में आ सकता है। पराली का पीक सीजन वह होता है जब पराली जलाने के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं, पिछले दो साल की तुलना में इस बार पराली जलाने की शुरुआत भी काफी तेजी से हुई है। हालांकि, अभी राजधानी पराली की वजह से प्रदूषण के 3% असर पड़ा है।
पराली पर किसानों के साथ काम कर रहे सेफ (Social Action For Environment And Forest ) के फाउंडर विक्रांत तोंगड़ के अनुसार, पराली पर इस बार किसानों को सरकार की तरफ से अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं। सब्सिडी भी दी जा रही है और छोटे किसानों से किराया भी नहीं लिया जा रहा है। बावजूद इसके इसका संचालन खर्च भी किसानों को निकालना मुश्किल हो रहा है। कोविड-19 महामारी के दौर में किसानों के पास पैसों का काफी अभाव है, इसलिए वो इस पर खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। यही वजह है कि सरकारी प्रयासों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को नरेला के हिरंकी गांव में बायो डीकंपोजर टेकनीक से तैयार घोल का छिड़काव का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली के अंदर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत दिल्ली सरकार एंटी डस्ट अभियान चला रही है। इस अभियान के लिए पर्यावरण विभाग ने कुल 14 टीमें बनाई हैं। ये टीमें विभिन्न साइटों का निरीक्षण कर रही हैं। खासकर, उन साइटों की खास निगरानी हो रही है जो 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा में फैला है। इसी के तहत, फिक्की की साइट पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा क राजधानी की सभी कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल को कम करने के लिए पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि 13 प्रदूषित हॉट स्पॉट्स की माइक्रो मॉनिटरिंग सोमवार से शुरू हो गई है। इस पर 14 अक्टूबर तक डीटेल रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद ऐक्शन प्लान बनाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि ग्रीन ऐप लॉन्च करने के से पहले सेंट्रल वॉर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

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