
देश की चरमराई अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के इरादे से घोषित वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का ताजा पैकैज भी वैसा फायदेमंद साबित नहीं हो सकता, जैसा मेनस्ट्रीम मीडिया में इसे लेकर हवा बनाई गई है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए फेस्टिव एडवांस से लेकर एलटीसी कैश वाउचर, परन्तु बारीकी से देखेंगे तो ये ऐलान ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ जैसे लग सकते हैं.

फेस्टिव एडवांस की सचाई
वित्तमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम के तहत 10 हजार रुपये तक ब्याज-रहित कर्ज लेने की सुविधा का ऐलान किया है. कर्मचारी इस कर्ज को 31 मार्च 2021 तक ले सकते हैं. इसकी किस्तें 10 महीने तक वेतन से काटी जाएगी.
कल्पना कीजिए कि अगर सरकार ने इसी रकम को 10 महीने के लिए 6 प्रतिशत ब्याज पर देने की पेशकश बनायी होती तो कर्मचारियों को कितना ब्याज देना पड़ता? ईएमआई की गणना के मुताबिक, 10 हजार रुपये के बदले अगर कर्मचारी 10 महीने तक 1028 रुपये की किस्त भरेगा तो कर्ज उतर जाएगा. यानी, 10,000 रुपये के कर्ज पर दस महीने में 10,280 रुपये चुकाने पड़ेंगे. 280 रुपये का फायदा !!

एलटीसी कैश वाउचर का गंडित
अभी सरकार को दिख रहा है कि कोरोना प्रतिबंधो को देखते हुए कर्मचारी शायद ही एलटीसी या होम-टाउन का लाभ लें. इसीलिए उन्हें भ्रमण पर गये बगैर तीन स्लैब में एलटीसी वाली रकम देने की नीति बनी, बशर्ते वो इस रकम को ऐसे सामान खरीदने पर खर्च करें जिस पर 12 फीसदी या अधिक जीएसटी लागू हो.
एलटीसी स्कीम का लाभ उठाने की अगली शर्त बहुत पेंचीदा है, क्योंकि इसमें कर्मचारियों को एलटीसी की रकम के मुकाबले तीन गुना ज्यादा रकम का सामान खरीदना होगा.

इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई कर्मचारी 50 हजार रुपये की एलटीसी पाने का हकदार है तो उसे स्कीम का फायदा लेने के लिए 1.5 लाख रुपये खर्च करने होंगे. इससे सरकार को कम से कम 18 हजार रुपये की जीएसटी मिल जाएगी.

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